अपने से कम उम्र यानी नाबालिक से शादी करने के कानून का क्या प्रावधान है और क्या करे इससे बचने के लिए



कानूनी जानकार मुरारी तिवारी ने कहा कि हिंदू मैरिज ऐक्ट के मुताबिक शादी के लिए लड़की की उम्र 18 साल और लड़के की 21 साल है लेकिन अगर शादी इससे कम उम्र में हो जाए तो भी शादी तब तक अवैध नहीं है, जब तक इसे चुनौती नहीं दी जाती। यानी किसी नाबालिग लड़की की शादी करा दी जाए और इस बारे में कोई शिकायत न हो तो शादी वैध मान लिया जाता है।

शरिया कानून में भी 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी मान्य है।

चाइल्ड मैरिज ऐक्ट के मुताबिक, 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी नहीं हो सकती। अगर यह शादी होती है, तो अमान्य होगी।

आईपीसी की धारा-375 में प्रोविजन है कि लड़की की उम्र अगर 18 साल से कम हो, लेकिन 16 से ज्यादा हो तो वह शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति देने की अधिकारी है। यानी 18 साल से कम उम्र में शादी तो नहीं हो सकती लेकिन कानूनी प्रावधानों के तहत लड़की संबंध बनाने की सहमति दे सकती है।

रेप की धाराओं की व्याख्या करने वाले कानून में कहा गया है कि अगर कोई शख्स अपनी 15 साल से ज्यादा उम्र की पत्नी से संबंध बनाता है तो वह रेप नहीं होगा। अगर लड़की की उम्र 15 साल है और वह किसी की पत्नी है, तो उसका पति उसके साथ संबंध बना सकता है।

लड़की अगर अपने गार्जियन की कस्टडी से अपनी मर्जी से किसी और के साथ जाती है और उसकी उम्र 18 साल से कम है तो उस शख्स के खिलाफ अपहरण का केस बनता है। यानी लड़की अपनी मर्जी से किसी के साथ 18 साल की उम्र के बाद ही जा सकती है।

हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि 15 साल की मुस्लिम लड़की ने अगर प्यूबर्टी (शारीरिक रूप से बालिग) अटेंड कर ली है तो वह शादी कर सकती है। कानूनी जानकार बताते हैं कि तमाम पर्सनल लॉ में शादी को लेकर उम्र की व्याख्या अलग-अलग की गई है। अदालत उन कानूनों के आधार पर अपनी व्यवस्था देती रही है। हिंदू मैरिज एक्ट के तहत भी अगर 18 साल से कम उम्र की कोई लड़की शादी करती है तो वह अमान्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के वकील डी. बी. गोस्वामी ने बताया कि हिंदू मैरिज एक्ट, शरिया कानून, आईपीसी और चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत शादी को लेकर तमाम प्रावधानों की व्याख्या की गई है। 

हिंदू मैरिज एक्ट

गोस्वामी के मुताबिक हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी की उम्र को लेकर जो प्रावधान किए गए हैं उसमें कहा गया है कि 18 साल से कम उम्र की लड़की की अगर शादी होती है तो वह अमान्य नहीं है। एक्ट कहता है कि ये शादी तब तक अमान्य नहीं है जब तक कि इसे चुनौती नहीं दी जाती। कानून कहता है कि लड़की बालिग होने के बाद ऐसी शादी को अमान्य करार देने के लिए कोर्ट के सामने गुहार लगा सकती है। यानी इस तरह की शादी जो 18 साल से कम उम्र में कराई गई है और शादी को लेकर किसी पक्ष ने कोई शिकायत नहीं की है तो शादी वॉयडेबल होगा लेकिन अमान्य नहीं।

मुसलिम लॉ

जानकार बताते हैं कि 15 साल या उससे ज्यादा उम्र की मुस्लिम लड़की ने अगर प्यूबर्टी (शारीरिक रूप से बालिग) अटेंड कर ली है तो वह शादी कर सकती है। ऐसी शादी को अमान्य नहीं ठहराया जा सकता। बालिग होने तक लड़की के लिए यह वॉयडेबल मैरिज के ऑप्शन की तरह होता है। यानी लड़की अगर खुद चाहे तो वह बालिग होने के बाद शादी को अमान्य घोषित कराने के लिए अर्जी दाखिल कर सकती है और तभी शादी अमान्य हो सकता है अन्यथा नहीं। शरियत कानून के तहत 15 साल से ऊपर की उम्र की लड़की की शादी जायज है। 

चाइल्ड मैरिज एक्ट

हाई कोर्ट में सरकारी वकील नवीन शर्मा के मुताबिक चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी नहीं हो सकती। अगर यह शादी होती है तो वह अमान्य होगा। चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत यह प्रावधान है कि अगर कोई ऐसी शादी करता है या फिर करवाता है या इससे लिए उकसाता है और दोषी पाया जाता है तो इस एक्ट के तहत दो साल तक कैद की सजा का प्रावधान है और साथ ही एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है। 

शारीरिक संबंध के लिए 16 साल की उम्र वैध

आईपीसी की धारा-375 के मुताबिक यह प्रावधान किया गया है कि लड़की की उम्र अगर 18 साल से कम हो लेकिन 16 साल से ऊपर हो तो वह शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति देने की अधिकारी है। यानी 18 साल के कम उम्र में शादी तो नहीं हो सकती लेकिन कानून प्रावधानों के तहत लड़की संबंध बनाने के लिए सहमति दे सकती है। 

शादी के बाद उम्र सीमा 15 तक जायज

आईपीसी के तहत बलात्कार की धाराओं को व्याख्या करने वाले कानून में यह प्रावधान किया गया है कि अगर कोई शख्स अपनी 15 साल से ज्यादा उम्र की पत्नी की सहमति के बिना संबंध बनाता है तो वह रेप नहीं होगा। यानी अगर लड़की की उम्र 15 साल है और उसकी शादी हो चुकी है तो उसका पति उसके साथ संबंध बना सकता है। 

लड़की की गार्जियनशिप की उम्र सीमा 18 साल

कानूनी प्रावधानों के मुताबिक अगर किसी लड़की की उम्र 18 साल से कम हो यानी 17 साल भी हो तो भी उसे कहीं ले जाने के लिए उसकी सहमति के कोई मायने नहीं हैं। ऐसे शख्स के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज किया जा सकता है। अगर लड़की के पैरंट्स ने शिकायत की तो इस मामले में लड़की को ले जाने वाले के खिलाफ केस दर्ज होगा। 
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post