2018 में भूकंप हिलाकर रख देंगे आपकी दुनिया, देखें भूकंप के झटकों का LIVE वीडियो

दुनिया में जब भी भूकंप आता है तो भारत सरकार की चेतावनी से मध्यप्रदेश में भी चिंता बढ़ जाती है। कुछ माह पहले ही केंद्रीय गृहमंत्रालय के आपदा प्रबंधन विभाग ने बड़ी चेतावनी देकर मध्यप्रदेश के लोगों को भी मुश्किल में डाल दिया था। चेतावनी में कहा गया था कि भारत में कहीं भी 8.2 का शक्तिशाली भूकंप आ सकता है, जो लाखों लोगों को बेघर कर देगा। इसका ज्यादा असर मध्यप्रदेश में भी पड़ सकता है, क्योंकि नर्मदा और ताप्ती नदी का क्षेत्र भूकंप से दहल सकता है। देशभर के कई राज्यों को भूकंप वाले क्षेत्रों में बांटा गया है, जिसमें से मध्यप्रदेश एक से लेकर तीन जोन में शामिल है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन विभाग के विशेषज्ञों ने भारत के एक बड़े भूभाग पर 8.2 तीव्रता वाले भूकंप की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि जल्द ही भारत में भयंकर तबाही वाला भूकंप आ सकता है। विशेषज्ञों की माने तो 8.2 या उससे भी अधिक तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है। यह उत्तर भारत के हिमालयी क्षेत्र को हिलाकर रख देगा, इसके कंपन्न दुनियाभर में महसूस किए जाएंगे।
भोपाल में आ चुका है 3.9 का भूकंप
नेपाल की राजधानी काठमांडू के बाद आफ्टर शॉक भोपाल में भी महसूस किए गए थे। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.9 मापी गई थी। हालांकि जानमाल के नुकसान की खबर नहीं थी। जिस वक्त भूकंप आया मंत्रालय में कैबिनेट बैठक चल रही थी। झटके महसूस होते ही मंत्रालय के कर्मचारी एवं मंत्री सीढ़ियों से होते हुए मंत्रालय से बाहर भागे। इस बीच सीएम ने आदेश जारी करते हुए कहा कि स्थिति सामान्य होने तक कोई भी सरकारी दफ्तर में काम नहीं करेगा। सुरक्षा की दृष्टि सेमंत्रालय, सतपुड़ा भवन और विंध्याचल भवन सहित शहर के सारे सरकारी दफ्तर खाली करा लिए गए।
नर्मदा बेल्ट में ज्यादा खतरा
-मध्यप्रदेश के जबलपुर में 22 मई 1997 को आए भूकंप ने शहर की सूरत ही बदल दी थी।
-22 अक्टूबर 2014 को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए, लेकिन 25 अप्रैल को 2015 को आए भूकंप ने एक बार फिर जबलपुर सहित पूरे प्रदेश को हिला दिया था।
-ग्वालियर, भोपाल सहित इंदौर में भी इन झटकों को महसूस किया गया।
-वैज्ञानिकों के मुताबिक नर्मदा वैली क्षेत्र में भूकंप की संभावनाएं ज्यादा हैं।
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भारत में यह है भूकंप वाले क्षेत्र
जोन-1
पश्चिमी मध्यप्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और उड़ीसा के कुछ हिस्से में भूकंप का कम खतरा है।
जोन-2
मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, तमिलनाडु और राजस्थान का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा में संभावना बनी रहती है।
जोन-3
मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, बिहार, पंजाब, केरल, महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी गुजरात और उत्तरप्रदेश का कुछ हिस्सा। इन क्षेत्रों में भूकंप के झटके कभी भी आ सकते हैं।
जोन-4
दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी गुजरात, उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश के पहाड़ी इलाक़े,बिहार-नेपाल सीमा और मुंबई में भूकंप का खतरा लगा रहता है। यहां रुक-रुककर भूकंप आते रहते हैं।
जोन-5
गुजरात का कच्छ, उत्तरांचल का एक हिस्सा और पूर्वोत्तर के अधिकतर राज्यों में भूकंप का सबसे अधिक खतरा है।
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भूकंप में लाखों लोग हो जाएंगे बेघर
देश में कहीं न कहीं भूकंप आते रहते हैं। विश्‍व बैंक और संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की एक रिपोर्ट में भी अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक भारत के लाखों लोग भूकंप से बेघर हो जाएंगे। हाल ही में जारी सेस्मिक जोन मैपिंग में भारत में भूकंप के संभावित खतरे वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है। मैपिंग में भारत को 4 स्तरों में बांटा गया है।

भोपाल में यहां भी आते हैं हल्के झटके
भोपाल में हल्के झटके तो कई बार महसूस हो चुके हैं, लेकिन यदि ज्यादा तीव्रता का भूकंप आया तो भोपाल के कई क्षेत्रों में कई मकान ध्वस्त हो जाएंगे और भारी जनहानि हो सकती है।

यहां है ज्यादा खतरा
- ऐशबाग हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, 600 मकान जर्जर हैं।
- सबसे अधिक खराब स्थित जनता क्वार्टर और ईडब्लूएस की है।
- अबेडकर नगर के सामने, 80 से अधिक पीडब्लूडी के आवास
- सरस्वती नगर, लगभग 700 आवास जर्जर।
- साउथ टीटी नगर और शास्त्री नगर, सैंकड़ों मकान जर्जर।
- इसके अलावा पुराने शहर में ज्यादा खस्ताहाल मकान, गिन्नौरी क्षेत्र, सदर मंजिल के आसपास का क्षेत्र, पुतली घर, पांच नंबर में बनी हाउसिंग बोर्ड की ऑफिसियल और आवासीय कॉलोनियां।
भूकंप आए तो क्या करें
-भूकंप महसूस होते ही घरों से बाहर निकलकर खुले मैदान में पहुंच जाएं। बड़ी बिल्डिंग्स, पेड़ों, बिजली के खंभों आदि से दूर रहें।
-बाहर जाने के लिए लिफ्ट की बजाय सीढिय़ों का इस्तेमाल करें।
-कहीं फंस जाएं तो दौड़ें नहीं। इससे भूकंप का ज्यादा असर होगा।
-भूकंप आने पर खिड़की, अलमारी, पंखे, ऊपर रखे भारी सामान से दूर हट जाएं, ताकि इनके गिरने और शीशे टूटने से चोट न लगे।
-टेबल, बेड, डेस्क जैसे मजबूत फर्नीचर के नीचे घुस जाएं और उसके पांएं कसकर पकड़ लें, ताकि झटकों से वह खिसके नहीं।
-कोई मजबूत चीज न हो तो किसी मजबूत दीवार से सटकर शरीर के नाजुक हिस्से जैसे सिर, हाथ आदि को मोटी किताब या किसी मजबूत चीज से ढंककर घुटने के बल टेक लगाकर बैठ जाएं।
-खुलते-बंद होते दरवाजे के पास खड़े न हों, वरना चोट लग सकती है।
-गाड़ी में हैं तो बिल्डिंग, होर्डिंग्स, खंभों, फ्लाईओवर, पुल आदि से दूर सड़क के किनारे या खुले मैदान में गाड़ी रुकवा लें और भूकंप रुकने तक इंतजार करें।
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